Notes

प्रथम जैन संगीति का मुख्य कार्य 12 अंगों का प्रणयन, जैन धर्म का दो भागों में विभाजन था।

प्रथम जैन संगीति का मुख्य कार्य 12 अंगों का प्रणयन, जैन धर्म का दो भागों में विभाजन था।