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विषमकारी विभाजन (heterotypic division) …

विषमकारी विभाजन (heterotypic division) –
(1) विषमकारी विभाजन केन्द्रक विभाजन की एक प्रक्रिया है जिसमें गुणसूत्र के युग्म अलग होते है एवं इसे प्रथम अर्द्धसूत्री विभाजन या न्यूनकारी विभाजन भी कहते हैं।
(2) प्रथम पूर्वावस्था (Prophase-I) केन्द्रक विभाजन के अर्द्धसूत्री विभाजन की सबसे बड़ी अवस्था है इसे निम्न पाँच उप-अवस्थाओं में विभाजित करते हैं –
(i) लेप्टोटीन (Leptotene)
(ii) जाइगोटीन (Zygotene)
(iii) पैकीटीन (Pachytene)
(iv) डिप्लोटीन (Diplotene)
(v) डायकाइनेसिस (Diakinesis)
(3) प्रथम मध्यावस्था (Metaphase-I) में तुर्क उपकरण का निर्माण होता है तथा तुर्क तन्तु गुणसूत्रों के सेन्ट्रोमीयर से संयुक्त हो जाते हैं।
(4) प्रथम पश्चावस्था (Anaphase-I) में तुर्क तन्तुओं के संकुचन के कारण समजात गुणसूत्र विपरीत ध्रुवों पर जाने लगते हैं और प्रत्येक ध्रुव पर गुणसूत्रों की संख्या आधी हो जाती है।
(5) प्रथम अन्त्यावस्था (Telophase-I) में केन्द्रिका तथा केन्द्रक कला प्रदर्शित हो जाती है।
(6) कोशिका द्रव्य विभाजन द्वारा दो नई कोशिकाओं का निर्माण होता जो अन्तरावस्था में प्रवेश करती है, परन्तु इस अवस्था में DNA का द्विगुणन नहीं होता है।