Notes

उल्काएँ, बहुत छोटे आमाप के पत्थर-जैसे पिंड हैं जो सूर्य के चारों ओर परिक्रमा कर रहें हैं …

उल्काएँ, बहुत छोटे आमाप के पत्थर-जैसे पिंड हैं जो सूर्य के चारों ओर परिक्रमा कर रहें हैं। उनके अस्तित्व का ज्ञान हमें तभी होता है जब उनमें से कोई, संयोगवश पृथ्वी के वायुमण्डल में प्रवेश कर जाता है। जब कोई उल्का पृथ्वी के वायुमण्डल में प्रवेश करती है तो यह वायु के घर्षण से गर्म हो जाती है। इस प्रकार उत्पन्न उष्मा इतनी अधिक हो जाती है कि यह उल्का चमकने लगती है और बहुत ही कम समय में वाष्पित हो जाती है। अतः किसी उल्का का गमन-पथ, रात्रि के आकाश में, प्रकाश की एक रेखा जैसा दिखाई पड़ता है। इसीलिए उल्काओं को सामान्यतः ‘टूटते तारे’ भी कहा जाता है, यद्यपि ये तारे नहीं हैं।