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दीर्घाकार आवर्त सारणी के लक्षण …

दीर्घाकार आवर्त सारणी के लक्षण –
(1) दीर्घाकार आवर्त सारणी में तत्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु क्रमांकों के क्रम में व्यवस्थित किया गया है।
(2) दीर्घाकार आवर्त सारणी वैज्ञानिक ग्रेगर जॉन मेण्डलिफ द्वारा प्रतिपादित की गयी मेण्डलिफ की आवर्त सारणी के भाँती ही 7 क्षैतिज खाने हैं जिन्हें आवर्त कहते हैं तथा 18 ऊर्ध्वाधर खाने हैं जिन्हें वर्ग कहते हैं। इन वर्गो को निम्न प्रकार व्यवस्थित किया गया है –
I A, II A, III B, IV B, V B, VI B, VII B, VIII, I B, II B, II A, IV A, V A, VI A, तथा शून्य वर्ग
VIII वर्ग में तीन ऊर्ध्वार्धर कॉलम (वर्ग) होते हैं।
(3) दीर्घाकार आवर्त सारणी में उपस्थित A उपवर्गों के तत्वों को सामान्य तत्व कहते हैं। तृतीय आवर्त के तत्वों को निरूपक अथवा प्रारूपी तत्व भी कहते हैं।
(4) आवर्त सारणी में उपस्थित VIII समूह तथा सभी B उपवर्गों के तत्वों को संक्रमण तत्व कहते हैं।
(5) आवर्त सारणी के शून्य वर्ग के तत्वों को अक्रिया गैस कहते हैं।
(6) किसी वर्ग के दूसरे आवर्त के तत्व, तीसरे आवर्त के तत्वों से समानता प्रदर्शित करते हैं जिसे विकर्ण सम्बन्ध कहते हैं।
(7) दीर्घाकार आवर्त सारणी में तत्वों को उनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर चार खण्डों में विभाजित किया गया है।
(8) दीर्घाकार आवर्त सारणी में उपस्थित शून्य वर्ग के तत्वों को अक्रिय गैस कहते है।
(9) आवर्त सारणी में उपस्थित किसी वर्ग के दूसरे आवर्त के तत्व, उसी वर्ग के तीसरे आवर्त के तत्वों से समानता प्रदर्शित करते है।