पल्लव कला एवं वास्तुकला

पल्लव कला एवं वास्तुकला
द्रविड़ शैलपल्लवों के नेतृत्व में द्रविड़ शैली का विकास चार चरणों में हुआ था।
महेन्द्र शैलीइसके अन्तर्गत कठोर पाषाण को काटकर गुहा मन्दिरों का निर्माण हुआ जिन्हें (मण्डप शैली) मण्डप कहा जाता है। जैसे-मक्कोंडा मंदिर, अनंतेश्वर मंदिर।
नरसिंह शैली (मामल्लशैली)इस शैली का विकास नरसिंहवर्मन प्रथम मामल्ल के काल में हुआ था। इसमें रथ या एकशिलाखंडीय (एकाश्म मंदिर) हैं जो मामल्लपुरम में पाये जाते हैं। ये सप्त पैगोडा के नाम से जाने जाते हैं किन्तु वास्तव में आठ हैं-धर्मराज, अर्जुन, भीम, सहदेव, द्रौपदी, गणेश, पिदारी एवं वालायान कुट्टीय।
राजसिंह शैलीइसके अन्तर्गत गुहा मन्दिरों के स्थान पर पाषाण, ईंट की सहायता से इमारती मन्दिरों का निर्माण किया गया। इस शैली का प्रयोग नरसिंह वर्मन द्वितीय ने किया था। महाबलीपुरम का तट, ईश्वर तथा मुकुंद मंदिर, कांची का कैलाशनाथ मंदिर एवं ऐरावतेश्वर मंदिर।
नंदिवर्मन शैलीइस शेली के अन्तर्गत अपेक्षाकृत छोटे मन्दिर निर्मित हुए। इसका प्रयोग नंदिवर्मन द्वितीय ने किया था। जैसे-कांची के मुक्तेश्वर मंदिर, बैकुण्ठपेरुमल मंदिर आदि।

त्रिपक्षीय संघर्ष में भाग लेने वाले राजा

गूर्जर प्रतिहारराष्ट्रकूटपाल
वत्सराज (783-795 ई.)ध्रुव (779-793 ई.)धर्मपाल (770-819 ई.)
नाग भट्ट द्वितीय (795-833 ई.)गोविन्द तृतीय (793-814 ई.)देवपाल (819-855 ई.)
राम भट्ट (833-836 ई.)अमोघवर्ष (814-878 ई.)विग्रहपाल (855-860 ई.)
मिहिर भोज (836-885 ई.)कृष्ण (878-914 ई.)नारायणपाल (860-915 ई.)
महेन्द्रपाल (885-910 ई.)

हर्षवर्द्धन के समय महत्वपूर्ण अधिकारी

हर्षवर्द्धन के समय महत्वपूर्ण अधिकारी
सिंहनादमुख्य सेनापति
अमात्यमंत्रिपरिषद् के मंत्री
उपरिकभुक्ति का प्रशासक
दण्डपाशिकपुलिस अधिकारी
वृहदेश्वरअश्व सेना का अधिकारी
बलाधिकृतपैदल सेना का अधिकारी
स्कंदगुप्तगजसेना का मुख्य अधिकारी
कुंतलअश्वसेना का प्रधान अधिकारी
अवंतीशांति एवं युद्ध का मंत्री

गुप्तकाल के अधिकारी एवं विभाग

अधिकारीविभाग
हरिषेणयह समुद्रगुप्त की संधि विग्रहिक एवं महादण्डनायक था, इसी ने प्रयाग प्रशस्ति की रचना की थी।
वीरसेन शैवचन्द्रगुप्त द्वितीय का संधि विग्रहिक
शिखर स्वामीचन्द्रगुप्त द्वितीय का मंत्री एवं कुमारामात्य
पृथ्वीषेणकुमारगुप्त का मंत्री एवं कुमारामात्य
आम्रकार्दवचन्द्रगुप्त द्वितीय का सेनापति

गुप्तकालीन महत्वपूर्ण मंदिर

मंदिरस्थान
विष्णु मंदिरतिगवा (जबलपुर, मध्य प्रदेश)
शिव मंदिरभूमरा (नागौद, मध्य प्रदेश)
पार्वती मंदिरनचना-कुठार (मध्य प्रदेश)
दशावतार मंदिरदेवगढ़ (झांसी, उत्तर प्रदेश)
शिव मंदिरखोह (नागौद, मध्य प्रदेश)
भितरगाँव का मंदिरभितरगांव (कानपुर, उत्तर प्रदेश)
लक्ष्मण मंदिर (ईटों द्वारा निर्मित)

गुप्तकालीन रचनाएँ एवं रचनाकार

रचनाकाररचनाएँ
विष्णु शर्मापंचतंत्र
कालिदासमालविकाग्निमित्रम्, विक्रमोर्शीयम्, मेघदूत, अभिज्ञानशाकुन्तलम्, (दुष्यंत एवं शकुंतला की प्रेमकथा) कुमारसंभव, ऋतुसंहार, रघुवंश महाकाव्य।
भौमिकरावाणार्जुनीयम्।
विशाखदत्तमुद्राराक्षस, देवीचन्द्रगुप्तम्।
भारविकिरातार्जुनीयम्।
वत्स भट्टिरावणवध।
भासस्वप्नवासवदत्तम्, चारुदत्तम।
अमर सिंहअमरकोश।
शूद्रकमृच्छकटिकम् (मिट्टी की खिलौनागाड़ी)
वराहमिहिरवृहत्संहिता,पंचसिद्धान्तिका।
ब्रह्मगुप्तब्रह्म सिद्धान्त।
राजशेखरकाव्यमीमांसा।
वाणभट्टअष्टांग हृदय (चिकित्सा से सम्बन्धित)
वाणभट्टहर्षचरित।
धन्वन्तरिशल्यशास्त्र (चिकित्सा से सम्बन्धित)

गुप्तकालीन आर्थिक शब्दावली

गुप्तकालीन आर्थिक शब्दावली
भागराजा को भूमि उत्पादन से प्राप्त होने वाला हिस्सा
भोगराजा को उपचार स्वरुप मिलने वाला कर
उदरंगस्थाई काश्तकारों के लिए कर
उपरिकरअस्थाई कृषकों के लिए कर
हिरण्यद्रव्य (नकद) रुप से किया जाने वाला कर
विष्टिनिःशुल्क या बेगार श्रम
दीनारस्वर्णमुद्राएं
अग्रहारमंदिरों एवं ब्राह्मणों को दान की जाने वाली भूमि

चन्द्रगुप्त द्वितीय के पदाधिकारी

चन्द्रगुप्त द्वितीय के पदाधिकारी
उपरिकप्रांत का राज्यपाल
कुमारामात्यप्रशासनिक अधिकारी
दण्डपाशिकपुलिस विभाग का प्रधान
महादण्डनायकमुख्य न्यायाधीश
बलाधिकृतसैन्य कोष का अधिकारी
महाप्रतिहारमुख्य दौवारिक