शतपथ ब्राह्मण

पुनर्जन्म का सिद्धांत सर्वप्रथम शतपथ ब्राह्मण में दिखाई देता है।

ब्राह्मण ग्रंथों में सर्वाधिक प्राचीन ग्रंथ ‘शतपथ ब्राह्मण’ है।

शतपथ ब्राह्मण किस वेद का ब्राह्मण ग्रन्थ है?

शतपथ ब्राह्मण के 6 से 10 काण्ड तक को क्या कहते हैं?

शतपथ ब्राह्मण के 6 से 10 काण्ड तक को शाण्डिल्य काण्ड कहते हैं।

शतपथ ब्राह्मण के आदि उपदेष्टा कौन है?

शतपथ ब्राह्मण के आदि उपदेष्टा महर्षि याज्ञवल्क्य है।

शतपथ ब्राह्मण में 12 प्रकार के रत्नियों का विवरण मिलता है।

शतपथ ब्राह्मण में 14 काण्ड है।

शतपथ ब्राह्मण में अब राजा को राष्ट्रिक कहा जाने लगा था।

शतपथ ब्राह्मण में एक स्थान पर क्षत्रियों को ब्राह्मणों से श्रेष्ठ बताया गया है।

शतपथ ब्राह्मण में कितने अध्याय है?

शतपथ ब्राह्मण में कितने काण्ड है?

शतपथ ब्राह्मण में कितने प्रकार के रत्नियों का विवरण मिलता है?

शतपथ ब्राह्मण में कृषि की समस्त प्रक्रिया का वर्णन मिलता है।

शतपथ ब्राह्मण में यज्ञों को जीवन का सबसे महत्तवपूर्ण कृत्य बताया गया है।

शतपथ ब्राह्मण में राजा के निर्वाचन की चर्चा है, और ऐसे राजा विशपति कहलाते थे।

शतपथ ब्राह्मण में राजा को ‘विषमता (जनता का भक्षक)’ कहा गया है।

शतपथ ब्राह्मण में सौ अध्याय है।

शतपथ ब्राह्मण शुक्ल यजुर्वेद का ब्राह्मण ग्रन्थ है।

समस्त ब्राह्मण ग्रंथों के मध्य ‘शतपथ ब्राह्मण’ सर्वाधिक बृहत्काय है।

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