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किसान आंदोलन

आंदोलन ईसवी (वर्ष) प्रभावित क्षेत्र नेतृत्व कारण
रंगपुर 1783 रंगपुर एवं दिनाजपुर धीरज नारायण ईस्ट इंडिया कंपनी ने जमींदारों पर कर बढ़ा दिया जिसका बोझ किसानों पर पड़ा।
मोपला 1836-54 मालाबार (केरल) अंग्रेजों द्वारा नयी राजस्व व्यवस्था लागू करना तथा ‘जनामी’ (साझेदारी पर आधारित भू-व्यवस्था) के स्वरुप में परिवर्तन।
नील 1859-60 बंगाल दिगम्बर विश्वास यूरोपीय लोगों द्वारा किसानों से बलपूर्वक नील की खेती करवाना।
पाबना 1873-76 बंगाल ईशानचंद्र राय एवं शम्भूपाल अधिक लगान, 1859 के अधिनियम 10 के तहत मिली काश्तकारों की जमीन पर कब्जे के विरुद्ध षड्यंत्र और बेदखली।
दक्कन उपद्रव 1875 महाराष्ट्र के पूना, अहमदनगर, शोलापुर एवं सतारा जिलों में रैयतबाड़ी क्षेत्र के किसान कर्ज अदायगी को ले कर महाजनों के शिकंजे में। अकाल के बावजूद लगान की दर में 50 प्रतिशत की वृद्धि।
पंजाब के कृषकों का असंतोष 1890-1900 पंजाब ग्रामीण ऋणग्रस्तता तथा कृषकों की भूमि का अकृषक वर्ग यथा महाजनों के पास हस्तांतरण।
बिजोलिया 1905, 1913 मेवाड़ सीताराम दास, भूपसिंह उर्फ विजय सिंह किसानों पर 86 प्रकार के कर लगाये गये।
चम्पारण 1917 चम्पारण, रामनगर, मोतिहारी, बेतिया एवं मधुबन महात्मा गाँधी तिनकठिया प्रणाली, शरहबेशी (लगान वृद्धि), तावान (एकमुश्त मुआवजा) के विरोध में
खेड़ा 1918 खेड़ा (गुजरात) महात्मा गाँधी फसल बर्बाद होने के बावजूद सरकार मालगुजारी वसूल कर रही थी।
अवध 1919-1922 प्रतापगढ़, रायबरेली, सुल्तानपुर एवं फैजाबाद झिंगुरी सिंह, रामचन्द्र अवैध लगान एवं बेदखली अधिनियम लागू। अवध मालगुजारी (संशोधन अधिनियम) लगान में बढ़ोतरी।
एका आंदोलन 1920 बाराबंकी, हरदोई, बहराइच एवं सीतापुर मदारी पासी लगान में बढ़ोतरी।
मोपला 1921 मालाबार (केरल) याकूब हसन, यू. गोपाल मेनन, पी. मोइद्दीन कोया अधिक लगान एवं बेदखली। अंग्रेजों द्वारा अली मुसलियार को पकड़ने के लिए तिरुरांगड़ी के मस्जिद पर छापा।
बारदोली 1928 सूरत का बारदोली ताल्लुका सरदार बल्लभभाई पटेल लगान में बढ़ोतरी, हाली पद्धति (बंधुआ मजदूरी)।
आंध्र का आंदोलन 1923-38 तटीय आंध्र एन.जी.रंगा, पी. सदरैया, वेनेली सत्यनारायण दंडु, सत्यनारायण राजू राजस्व में पौने 19 प्रतिशत खेत जोतने एवं मछली मारने के अधिकारों को लेकर संघर्ष छेड़ा गया।
मालाबार के कृषक संघर्षों का आंदोलन 1934-40 केरल का मालाबार आर, रामचंद्र, बेदुमगडी, वी. कृष्ण पिल्लई, टी. प्रकाशम सामंती वसूलियां, नवीनीकरण शुल्क, लगान की अग्रिम अदायगी।
बिहार में किसान सभा का आंदोलन 1929-39 बिहार स्वामी सहजानंद जमींदारी उन्मूलन, गैरकानूनी वसूली, काश्तकारों की बेदखली, बकाश्त जमीन की वापसी।
पंजाब 1930-40 जालंधर, अमृतसर, होशियारपुर, लायलपुर एवं शेखपुरा (पंजाब) सोहन सिंह भाकना, बी. पी. एल. बेदी, ज्वाला सिंह, तेज सिंह, स्वनंतर, मास्टर हरि सिंह, बाबा रुर सिंह भू-राजस्व में कटौती, ऋणों के भुगतान में स्थगन। तत्कालिक कारण अमृतसर एवं लाहौर में भू-राजस्व का पुनर्निर्धारण, नहर कर में वृद्धि।
वर्ली 1945 बम्बई के निकटवर्ती क्षेत्र गोदावरी पुरुलेकर जंगलों के ठेकेदारों, भूमिपतियों धनी कृषकों, बेठ-बेगार के विरुद्ध
तेभागा आंदोलन 1946 दिनाजपुर, रंगपुर, जलपाईगुड़ी एवं मैमन सिंह, मिदनापुर, 24 परगना, खुलना कृष्णविनोद राय, अवनि लाहिरी, सुनील सेन, भवानी सेन, मोनी सिंह बटाईदारों ने फैसला किया कि आधा की जगह वे जोतदारों को एक-तिहाई उपज देंगे। सरकार ने वर्गादार विधेयक पारित कर किसानों की मांगों की पूर्ति की।
पुनरप्पा-वायलार 1946 त्रावणकोर पनथ थानु पिल्लई अन्न की कमी, दीवान सी. पी. रामास्वामी अय्यर का अमेरिकी नमूना तर्क, ताकि अंग्रेजों के जाने के बाद एक स्वतंत्र त्रावणकोर उसके नियंत्रण में रहे।
तेलंगाना 1946-51 तेलंगाना संदरैया निजाम, जमींदारों, साहूकारों तथा व्यापारियों के विरुद्ध संषर्घ। बेगार (वेट्टी), जमीन हथियाना।