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महात्मा बुद्ध के चार आर्य सत्य

बुद्ध के चार आर्य सत्य
दुःख संसार में सर्वत्र दुःख है तथा जीवन दुःखों एवं कष्टों से पूर्ण है।
दुःख समुदाय प्रत्येक वस्तु का कोई न कोई कारण अवश्य होता है जो दुःख का भी कारण है।
दुःख निरोध दुःख का अंत संभव है।
दुःख निरोधगामिनी प्रतिपदा दुःख के मूल अविद्या के विनाश का उपाय अष्टांगिक मार्ग है।