मौर्य प्रशासन

मौर्य प्रशासन

मौर्य प्रशासन के केन्द्रीय अधिकारी तंत्र में उद्योग धंधों का प्रधान निरीक्षक कर्मान्तिक कहलाता था।

मौर्य प्रशासन के केन्द्रीय अधिकारी तंत्र में कोषाध्यक्ष को सन्निघाता कहते थे।

मौर्य प्रशासन के केन्द्रीय अधिकारी तंत्र में दीवानी न्यायालय का न्यायाधीश व्यावहारिक कहलाता था।

मौर्य प्रशासन के केन्द्रीय अधिकारी तंत्र में नगर का प्रमुख अधिकारी या नगर कोतवाल को नागरक (पौर) कहते थे।

मौर्य प्रशासन के केन्द्रीय अधिकारी तंत्र में परिषद् का अध्यक्ष मंत्रिपरिषदाध्यक्ष कहलाता था।

मौर्य प्रशासन के केन्द्रीय अधिकारी तंत्र में प्रधानमंत्री को अमात्य कहते थे।

मौर्य प्रशासन के केन्द्रीय अधिकारी तंत्र में प्रमुख धर्माधिकारी को पुरोहित कहते थे।

मौर्य प्रशासन के केन्द्रीय अधिकारी तंत्र में फौजदारी न्यायालय के न्यायाधीश प्रदेष्टा कहलाते थे।

मौर्य प्रशासन के केन्द्रीय अधिकारी तंत्र में युद्ध विभाग के मंत्री को सेनापति कहते थे।

मौर्य प्रशासन के केन्द्रीय अधिकारी तंत्र में राजकीय दुर्ग रक्षकों के अध्यक्ष को दुर्गपाल कहते थे।

मौर्य प्रशासन के केन्द्रीय अधिकारी तंत्र में राजमहल की देखभाल करने वाला प्रधान दौवारिक कहलाता था।

मौर्य प्रशासन के केन्द्रीय अधिकारी तंत्र में राजस्व विभाग के प्रधान अधिकारी को समाहर्ता कहते थे।

मौर्य प्रशासन के केन्द्रीय अधिकारी तंत्र में राजा के उत्तराधिकारी को युवराज कहते थे।

मौर्य प्रशासन के केन्द्रीय अधिकारी तंत्र में वन विभाग के प्रधान को आटविक कहते थे।

मौर्य प्रशासन के केन्द्रीय अधिकारी तंत्र में सबसे ऊंचे अधिकारी (तीर्थ) की 18 तीर्थ संख्या थी।

मौर्य प्रशासन के केन्द्रीय अधिकारी तंत्र में सबसे ऊंचे अधिकारी तीर्थ कहलाते थे।

मौर्य प्रशासन के केन्द्रीय अधिकारी तंत्र में सम्राट की अंगरक्षक सेना का प्रधान आन्तर्वशिक कहलाता था।

मौर्य प्रशासन के केन्द्रीय अधिकारी तंत्र में सीमावर्ती दुर्गों का रक्षक अंतपाल कहलाता था।

मौर्य प्रशासन के केन्द्रीय अधिकारी तंत्र में सेना का संचालन करने वाले को नायक कहते थे।

मौर्य प्रशासन के केन्द्रीय अधिकारी तंत्र में सेना की सामग्रियों को जुटाने वाले प्रधान अधिकारी को दण्डपाल कहते थे।

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