मनसबदार

मुगल साम्राज्य में 3,000 से 5,000 के मनसबदार उमरा-ए-आजम कहलाते थे।

मुगल साम्राज्य में 3,000 से 5,000 के मनसबदार क्या कहलाते थे?

मुगल साम्राज्य में 500 से 2530 तक के मनसबदार उमरा कहलाते थे।

मुगल साम्राज्य में 500 से 2530 तक मनसबदार क्या कहलाते थे?

मुगल साम्राज्य में 5000 के ऊपर के मनसबदार क्या कहलाते थे?

मुगल साम्राज्य में 5000 के ऊपर के मनसबदार सवार कहलाते थे।

मुगल साम्राज्य में दुह-अस्पा मनसबदार उसे कहते थे, जिसे निर्धारित घुड़सवार के साथ-साथ उतने ही घोड़े रखने पड़ते थे।

मुगल साम्राज्य में मनसबदार के दर्जे जात एवं सवार बराबर होतो उसे किस श्रेणी का कहा जाता था?

मुगल साम्राज्य में मनसबदार के दर्जे सवार जात के आधे से कम होतो उसे किस श्रेणी का कहा जाता था?

मुगल साम्राज्य में मनसबदार के दर्जे सवार जात के आधे से कम होतो उसे तृतीय श्रेणी का कहा जाता था।

मुगल साम्राज्य में मनसबदार के दर्जे सवार जात से कम होतो उसे किस श्रेणी का कहा जाता था?

मुगल साम्राज्य में मनसबदारों के ‘जात’ दर्जे का अभिप्राय मनसबदार को कितनी संख्या में हाथी घोड़े तथा समान ढोने की बैलगाड़ीया रखनी थी।

मुगल साम्राज्य में मनसबदारों के ‘जात’ दर्जे का क्या अभिप्राय था?

मुगल साम्राज्य में मनसबदारों के ‘सवार’ दर्जे का क्या अभिप्राय था?

मुगल साम्राज्य में मनसबदारों के घोड़ों को क्या लगाया जाता था?

मुगल साम्राज्य में मनसबदारों के घोड़ों को दाग लगाया जाता था।

मुगल साम्राज्य में मनसबदारों के दो दर्जे कौन-कौन से दिए जाते थे?

मुगल साम्राज्य में मनसबदारों के दो दर्जे जात एवं सवार दिए जाते थे।

मुगल साम्राज्य में वह कौन सा मनसबदार होता था, जिसे दोगुने घोड़े रखने पड़ते थे?

मुगल साम्राज्य में वह कौन सा मनसबदार होता था, जिसे निर्धारित घुड़सवार के साथ-साथ उतने ही घोड़े रखने पड़ते थे?

मुगल साम्राज्य में सिंह-अस्पा मनसबदार को दोगुने घोड़े रखने पड़ते थे।

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