देवता

‘अपोलो’ यूनानी सभ्यता के देवता थे।

आर्य समाज के लोग मनुष्य एवं देवता के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभानेवाले अग्नि देवता के रूप में पूजा करते थे।

आर्यों के सर्वाधिक प्रिय देवता इन्द्र थे।

उत्तरवैदिक काल में इन्द्र के स्थान पर सर्वाधिक प्रिय देवता प्रजापति थे।

ऋग्वेद में सोम देवता का 9वें मंडल में उल्लेख है।

ऋग्वैदिक काल के सबसे प्रतापी देवता ‘भगवान इन्द्र’ थे।

ऋग्वैदिक काल में आंधी-तूफान के देवता का सम्बन्ध मरूत देवता से था।

ऋग्वैदिक काल में किला तोड़ने वाला देवता को भगवान इन्द्र कहा गया है।

ऋग्वैदिक काल में देवता एवं मनुष्य के बीच मध्यस्थ करने का सम्बन्ध अग्नि देवता से था।

ऋग्वैदिक काल में पशुओं के देवता का समबन्ध पूषन देवता से था।

ऋग्वैदिक काल में प्रगति एवं उत्थान-देवता का सम्बन्ध ऊषा देवता से था।

ऋग्वैदिक काल में युद्ध का नेता एवं वर्षा के देवता का सम्बन्ध इन्द्र देवता से था।

ऋग्वैदिक काल में विपत्तियों को हरनेवाले देवता का सम्बन्ध आश्विन देवता से था।

ऋग्वैदिक काल में विश्व के संरक्षक एवं पालनकर्ता देवता का सम्बन्ध विष्णु देवता से था।

पुष्यभूति वंश के शासक हर्षवर्धन को सभी देवताओं का सम्मिलित अवतार हर्षचरित पुस्तक में कहा गया है।

प्राचीन ग्रन्थों में नृत्य के देवता को नटराज शिव कहा जाता है।

प्राचीन ग्रन्थों में नृत्य के देवता नटराज शिव का वर्णन है।

भरतनाट्यम नृत्य शैली की अलारिप्पु मुद्रा का अर्थ वंदना (देवता, गुरु आदि की आराधना करके नृत्य का प्रारम्भ) करना होता है।

मोहनजोदड़ो से प्राप्त एक शील पर तीन मुख वाले देवता ‘पशुपति नाथ’ की मूर्ति मिली थी।

मोहनजोदड़ो से प्राप्त एक शील पर तीन मुख वाले देवता की मूर्ति के चारों ओर हाथी , गैंडा, चीता एवं भैंसा विराजमान है।

यूनानी लोगों के देवता किसकी अपेक्षा में अधिक शक्तिशाली और अमर समझे जाते थे?

शुक्र ग्रह को ‘सौन्दर्य का देवता’ कहा जाता है।

संगम साहित्य के प्रथम संगम में उपस्थित प्रमुख देवता अगस्त्य, तिरिपुरामेरीथा (शिव), कुमरामेरिंडा (मुरूगन या सुब्रह्मण्यम), एवं मुरांजीयुर (आदि शेष) थे।

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