चरित्र

चाणक्य के अनुसार कानून के चार मुख्य अंग धर्म, व्यवहार, चरित्र एवं शासन थे।

राजा द्वारा मुख्यमंत्री एवं पुरोहित की नियुक्ति उनके चरित्र की भली-भांति जांच की प्रक्रिया को उपधा प‍रीक्षण कहते थे।

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