भरतनाट्यम नृत्य

‘अलारिप्पु’ भरतनाट्यम नृत्य की सात मुद्राओं में से एक मानी गई है।

अरुण्डेल रुक्मिणी देवी’ भरतनाट्यम नृत्य शैली की एक प्रसिद्ध नृत्यांगना हैं।

एस. के. सरोज’ भरतनाट्यम नृत्य शैली की एक प्रसिद्ध नृत्यांगना हैं।

कोमला वरदन’ भरतनाट्यम नृत्य शैली की एक प्रसिद्ध नृत्यांगना हैं।

जातिस्वरम्’ भरतनाट्यम नृत्य की सात मुद्राओं में से एक मानी गई है।

जावलियां’ भरतनाट्यम नृत्य की सात मुद्राओं में से एक मानी गई है।

तिल्लाना’ भरतनाट्यम नृत्य की सात मुद्राओं में से एक मानी गई है।

पदम्’ भरतनाट्यम नृत्य की सात मुद्राओं में से एक मानी गई है।

पद्य सुब्रमण्यम’ भरतनाट्यम नृत्य शैली की एक प्रसिद्ध नृत्यांगना हैं।

बैजयन्ती माला’ भरतनाट्यम नृत्य शैली की एक प्रसिद्ध नृत्यांगना हैं।

भरतनाट्यम नृत्य की अलारिप्पु मुद्रा का क्या अर्थ है?

भरतनाट्यम नृत्य की जातिस्वरम् मुद्रा का क्या तात्पर्य है?

भरतनाट्यम नृत्य की जावालियां मुद्रा का क्या तात्पर्य है?

भरतनाट्यम नृत्य की तिल्लाना मुद्रा का क्या तात्पर्य है?

भरतनाट्यम नृत्य की पदम् मुद्रा का क्या तात्पर्य है?

भरतनाट्यम नृत्य की वर्णम् मुद्रा का क्या तात्पर्य है?

भरतनाट्यम नृत्य की शब्दम् मुद्रा का क्या तात्पर्य है?

भरतनाट्यम नृत्य के सात मुद्राएं कौन-कौन सी मानी गई है?

भरतनाट्यम नृत्य में किस भाव की अभिव्यक्ति होती है?

भरतनाट्यम नृत्य में श्रृंगार एवं भक्ति रस की अभिव्यक्ति होती है।

भरतनाट्यम नृत्य शैली का दक्षिण भारत में प्रमुख केन्द्र कहां-कहां है?

भरतनाट्यम नृत्य शैली का दक्षिण भारत में प्रमुख केन्द्र मद्रास एवं तंजौर है।

भरतनाट्यम नृत्य शैली की अलारिप्पु मुद्रा का अर्थ वंदना (देवता, गुरु आदि की आराधना करके नृत्य का प्रारम्भ) करना होता है।

भरतनाट्यम नृत्य शैली की जातिस्वरम् मुद्रा का तात्पर्य स्वर एवं ताल के माध्यम से प्रदर्शन करना होता है।

भरतनाट्यम नृत्य शैली की जावालियां मुद्रा का तात्पर्य श्रृंग‍ारिक भाव प्रधान होता है।

भरतनाट्यम नृत्य शैली की तिल्लाना मुद्रा का तात्पर्य घुघरूओं की तीव्र लय द्वारा दर्शकों को आकर्षित करना होता है।

भरतनाट्यम नृत्य शैली की पदम् मुद्रा का तात्पर्य सात पंक्तियुक्त वन्दना रहती है।

भरतनाट्यम नृत्य शैली की वर्णम् मुद्रा का तात्पर्य भाव, राग एवं ताल तीनों की समयक् प्रस्तुति होती है।

भरतनाट्यम नृत्य शैली की शब्दम् मुद्रा का तात्पर्य ईश्वर की प्रार्थना हेतू काव्य ज्ञान है।

भरतनाट्यम नृत्य शैली के प्रमुख नृत्यक कौन-कौन हैं?

भरतनाट्यम नृत्य शैली के प्रमुख नृत्यक पद्य सुब्रमण्यम, यामिनी कृष्णमूर्ति, अरुण्डेल रुक्मिणी देवी, मालविका, साररुकई, एस. के. सरोज, लीलाजैक्सन, रामगोपाल, बैजयन्ती माला, कोमला वरदन आदि हैं।

भरतनाट्यम नृत्य शैली में कविता, संगीत, नृत्य एवं नाटक का अद्भुत समावेश होता है।

भरतनाट्यम नृत्य शैली में किस-किस का अद्भुत समावेश होता है?

मालविका सरुक्कई’ भरतनाट्यम नृत्य शैली की एक प्रसिद्ध नृत्यांगना हैं।

यामिनी कृष्णमूर्ति’ भरतनाट्यम नृत्य शैली की एक प्रसिद्ध नृत्यांगना हैं।

रामगोपाल’ भरतनाट्यम नृत्य शैली के एक प्रसिद्ध नृत्यक हैं।

लीलाजैक्सन’ भरतनाट्यम नृत्य शैली की एक प्रसिद्ध नृत्यांगना हैं।

वर्णम्’ भरतनाट्यम नृत्य की सात मुद्राओं में से एक मानी गई है।

शब्दम्’ भरतनाट्यम नृत्य की सात मुद्राओं में से एक मानी गई है।

सामान्य तौर पर भरतनाट्यम नृत्य (विभिन्न मुद्राओं) के कितने भाग माने गये है?

सामान्य तौर पर भरतनाट्यम नृत्य (विभिन्न मुद्राओं) के सात भाग माने गये है।

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