Notes

‘यदि हृदय निर्मल है तो धन के संचय और वितरण तथा आरामदेह जीवन बिताने में कोई दोष नहीं है’ यह सिद्धान्त सुहरावर्दी संतों का है।

‘यदि हृदय निर्मल है तो धन के संचय और वितरण तथा आरामदेह जीवन बिताने में कोई दोष नहीं है’ यह सिद्धान्त सुहरावर्दी संतों का है।