उत्तरवैदिक

‘गोत्र’ नामक संस्था का जन्म उत्तरवैदिक काल में हुआ था।

उत्तरवैदिक काल में इन्द्र के स्थान पर सर्वाधिक प्रिय देवता प्रजापति थे।

उत्तरवैदिक काल में प्रथम बार पक्की ईटों का प्रयोग कौशाम्बी नगर में किया गया था।

उत्तरवैदिक काल में मुद्रा की इकाइयां निष्क और शतमान थी।

उत्तरवैदिक काल में राजा के राज्याभिषेक के समय ‘राजसूय यज्ञ’ का अनुष्ठान किया जाता था।

उत्तरवैदिक काल में वर्ण, व्यवसाय की बजाय जन्म के आधार पर निर्धारित होते थे।

उत्तरवैदिक काल में हल को सिरा कहते थे।

उत्तरवैदिक काल में हल रेखा को सीता कहा जाता था।

Subjects

Tags