प्राकृत

कंधार अभिलेख को छोड़कर अशोक के शेष सभी अभिलेखों को प्राकृत भाषा में लिखा गया है।

गाथा सप्तशती प्राकृत भाषा का ग्रंथ है।

जैनियों द्वारा प्रारम्भ में ‘प्राकृत भाषा’ को अपनाया गया था।

प्राचीन भारत के सिक्कों पर मुख्यताः यूनानी, प्राकृत, संस्कृत, द्रविड़ भाषाओं का प्रयोग किया जाता था।

महावीर स्वामी ने ‘प्राकृत भाषा’ को प्रचार का माध्यम बनाया था।

महावीर स्वामी ने अपना उपदेश प्राकृत (अर्धमागधी) भाषा में दिया था।

सातवाहनों की राजकीय भाषा प्राकृत थी।

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