Notes

गुरूत्वानुवर्ती द्वितीयक मूल तथा प्ररोह गुरूत्वीय बल की तिर्यक कोण की स्थिति में होते हैं।

गुरूत्वानुवर्ती द्वितीयक मूल तथा प्ररोह गुरूत्वीय बल की तिर्यक कोण की स्थिति में होते हैं।